श्री भेरू जी की आरती

श्री भेरू जी की आरती

जय भैरव देवा, प्रभु भैरव देवा । जय काली और गौरा देवी कृत सेवा ।। 

जय....

तुम्ही पाप उध्दारक  दुःख सिंधु तारक । भक्तों के सुख कारक भीषण बपू धारक ।। 

जय....

वाहन श्वान विराजत कर त्रिशुल धारी । महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ।।

जय....

तुम बिन देवा सेवा सफल नही होवे । चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे ।।

जय....

तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी । कृपा कीजिए भैरव, करिये नहीं देरी ।।

जय....

पांव घुंघरू बाजत अरू डमरू डमकावत । बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत ।।

जय....

बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे । कहे धरणी धर नर मनवांछित फल पावे ।। 

जय....

श्री साईं बाबा की आरती


आरती श्री साईं गुरुवर की,

परमानंद सदा सुरवर की ||

जाकी कृपा विपुल सुखकारी,

दुख, शोख, संकट, बहहारी ||

शिर्डी में अवतार रचाया,

चमत्कार में तत्व दिखाया ||

कितने भकत चरण पर आयें,

वे सुख शांति निरन्तर पायें ||

भाव धरे जो मन मे जैसा,

पावत अनुभव वो ही वैसा ||

गुरु की उदी लगावे तन को,

समाधान लाभत उस मन को ||

साईं नाम सदा जो गावे,

सो फल जग में शाश्वत  पावे ||

गुरुवासर करी पूजा-सेवा,

उस पर कृपा करत गुरुदेवा ||

राम, कृष्णा, हनुमान रूप में,

दे दर्शन, जानत जो मन में ||

विविध धरम के सेवक आते,

दर्शन कर इच्छित फल पाते ||

जे बोलो सई बाबा की,

जे बोलो अवधूत गुरु की ||

साईंदासआरती जो गावें,

घर में बसी सुख, मंगल पावें॥

श्री संतोषी माता की आरती


जय सन्तोषी माता, मैया सन्तोषी माता

अपने सेवक जन की, सुख सम्पत्ति दाता

जय सन्तोषी माता

जय सन्तोषी माता, मैया सन्तोषी माता

अपने सेवक जन की, सुख सम्पत्ति दाता

जय सन्तोषी माता

सुन्दर चीर सुनहरी माँ धारण कीन्हों

हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार कीन्हों

जय सन्तोषी माता

गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे

मन्द हंसत करुणामयी, त्रिभुवन मन मोहे

जय सन्तोषी माता

स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरें प्यारे

धूप दीप मधुमेवा, भोग धरें न्यारे

जय सन्तोषी माता

गुड़ और चना परमप्रिय, तामे संतोष किये

सन्तोषी कहलाई, भक्तन वैभव दिये

जय सन्तोषी माता

शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही

भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही

जय सन्तोषी माता

मन्दिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई

विनय करें हम सेवक, चरनन सिर नाई

जय सन्तोषी माता

भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै

जो मन बसै हमारे, इच्छा फल दीजै

जय सन्तोषी माता

दुखी दरिद्री, रोगी, संकट मुक्त किये

बहु धन-धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिये

जय सन्तोषी माता

ध्यान धरे जो तेरा वांछित फल पायो

पूजा कथा श्रवण कर, घर आनन्द आयो

 
जय सन्तोषी माता...

चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे

संकट तू ही निवारे, दयामयी अम्बे

जय सन्तोषी माता...

सन्तोषी माता की आरती जो कोई जन गावे

रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति, जी भर के पावे

 
जय सन्तोषी माता..

जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता

अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता

श्री सरस्वती माता की आरती

श्री सरस्वती माता की आरती

आरती करूं सरस्वती मातु, हमारी हो भव भयहारी हो।

हंस वाहन पदमासन तेरा, शुभ वस्त्र अनुपम है तेरा।

रावण का मन कैसे फेरा, वर मांगत बन गया सवेरा।

यह सब कृपा तिहारी हो, उपकारी हो मातु हमारी हो।

तमो ज्ञान नाशक तुम रवि हो, हम अंमबुज विकास करती हो।

मंगल भवन मातु सरस्वती हो, बहुकूकन बाचाल करती हो।

विद्यावती वीणाधारी हो, मातु हमारी हो।

तुम्हारी कृपा गणनायक, लायक विष्णु भए जग पालक।

अंबा कहायी सृष्टि ही कारण, भए शंभु संसार ही घालक।

बन्दों आदि भवानी जग, सुखकारी हो, मातु हमारी हो।

सदबुद्धि विद्याबल मोही दीजै, तुम अज्ञान हटा रख लीजै।

जन्मभूमि हित अर्पण कीजै, कर्मवीर भस्महिं कर दीजै।

यही विनय हमारी, भव भय हारी हो, मातु हमारी हो ।।

श्री गायत्री माता की आरती

श्री गायत्री माता की आरती

आरती श्री गायत्री जी की।  

ज्ञान दीप और श्रद्धा की बाती,

सो भक्ति ही पूर्ति करै जहं घी की । आरती ।

मानस की शुचि था ल के ऊपर,

देवि की जोति जगै, जहं नीकी । आरती ।

शुद्ध मनोरथ के जहां घण्टा,

बाजै करै पूरी आसहु ही की। आरती ।

जाके समक्ष हमें तिहूं लोक कै, 

गद्दी मिले तबहूं लगै फीकी । आरती ।

संकट आवै न पास कबौ तिन्हें,

सम्पदा औ सुख की बनै लीकी । आरती ।

आरती प्रेम सो नेम सों करि,

ध्यावहिं मूरति ब्रह्म लली की । आरती ।

श्री काली माता की आरती

श्री काली माता की आरती

मंगल की सेवा सुन मेरी देवी, हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले ज्वाला तेरी भेंट करें। सुन जग्दम्बे कर न विलम्बे सन्तन के भंडार भरे सन्तान प्रतिपाली सदा खुशहाली,जय काली कल्याण करे।।

बुद्धि विधाता तू जगमाता, मेरा कारज सिद्ध करे चरण कमल का लिया आसरा,शरण तुम्हारी आन परे जब जब पीर पड़े भक्तन पर तब तब आये सहाय करे सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, काली कल्याण करे ।।

बार बार तै सब जग मोहयो,तरूणी रूप अनूप धरे माता होकर पुत्र खिलावें,कही भार्या बन भोग करे संतन सुखदायी,सदा सहाई,सन्त खड़े जयकार करें संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ।।


ब्रह्या विष्णु,महेश फल लिए भेंट देन सव द्वार खड़े अटल सिंहासन बैठी माता,सिर सोने का छत्र धरे  वार शनिचर कुंकुमवरणी, जव लुंकुड पर हुक्म करे संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली , जय काली कल्याण करे । ।

खड्ग खप्पर त्रिशूल हाथ लिये,रक्तबीज कुं भस्म करे शुम्भ-निशुम्भ क्षणहिं में मारे,महिषासुर को पकड़ धरे आदित वारी आदि भवानी,जन अपने को कष्ट हरे संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली , जय काली कल्याण करे।।

कुपित होय कर दानव मारे,चण्ड-मुण्ड सब चूर करे जब तुम देखो दया रूप हो ,पल में संकट दूर टरे सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता , जन की अर्ज कबूल करे संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली , जय काली कल्याण करे।।

सात वार महिमा बरनी ,सव गुण कौन बखान करे सिंह पीठ पर चढ़ी भवानी,अटल भुवन मे राज करे दर्शन पावें मंगल गावें,सिद्ध साधन तेरी भेट धरें संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली , जय काली कल्याण करे।।

ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे,शिवशंकर हरि ध्यान धरे इन्द्र-कृष्ण तेरी करे आरती,चंवर कुबेर डुलाय रहे जय जननी जय मातुभवानी,अचल भुवन में राज करे संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली , जय काली कल्याण करे।।

श्री गंगा माता की आरती

श्री गंगा माता की आरती

ॐ जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता । जो नर तुमको ध्याता, मन वांछित फल पाता ।।

चंद्र सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता । शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता ।।

पुत्र सगर के तारे, सब जग के ज्ञाता । कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुखदाता ।।

एक ही बार जो तेरी शरणागति आता । यम की त्रास मिटाकर परम गति पाता ।।

आरती मात तुम्हारी जो नरनित गाता । दास वही सहज में मुक्ति को पाता ।।