श्री भेरू जी की आरती
जय भैरव देवा, प्रभु भैरव देवा । जय काली और गौरा देवी कृत सेवा ।।
जय....
तुम्ही पाप उध्दारक दुःख सिंधु तारक । भक्तों के सुख कारक भीषण बपू धारक ।।
जय....
वाहन श्वान विराजत कर त्रिशुल धारी । महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ।।
जय....
तुम बिन देवा सेवा सफल नही होवे । चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे ।।
जय....
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी । कृपा कीजिए भैरव, करिये नहीं देरी ।।
जय....
पांव घुंघरू बाजत अरू डमरू डमकावत । बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत ।।
जय....
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे । कहे धरणी धर नर मनवांछित फल पावे ।।
जय....